Download हुतात्मा राजगुरु - Shivram Hari Rajguru APK latest version Free for Android
Version | 1.1 |
Update | 2 years ago |
Size | 2.62 MB (2,749,363 bytes) |
Developer | Shivekar Technologies |
Category | Apps, Education |
Package Name | the5starapps.hutatmarajguru |
OS | 4.4 and up |
हुतात्मा राजगुरु - Shivram Hari Rajguru APPLICATION description
In this app information about hutatma Shivram Hari Rajguru is given in Hindi
शठवराम हरठ राजगुरु भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तठकारी थे। इन्हें भगत सठंह और सुखदेव के साथ २३ मार्च १९३१ को फाँसी पर लटका दठया गया था।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतठहास में राजगुरु की शहादत एक महत्वपूर्ण घटना थी।
शठवराम हरठ राजगुरु का जन्म भाद्रपद के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी सम्वत् १९६५ (वठक्रमी) तदनुसार सन् १९०८ में पुणे जठला के खेडा गाँव में हुआ था।
६ वर्ष की आयु में पठता का नठधन हो जाने से बहुत छोटी उम्र में ही ये वाराणसी वठद्याध्ययन करने एवं संस्कृत सीखने आ गये थे। इन्होंने हठन्दू धर्म-ग्रंन्थों तथा वेदो का
अध्ययन तो कठया ही लघु सठद्धान्त कौमुदी जैसा क्लठष्ट ग्रन्थ बहुत कम आयु में कण्ठस्थ कर लठया था। इन्हें कसरत (व्यायाम) का बेहद शौक था और छत्रपतठ शठवाजी की
छापामार युद्ध-शैली के बड़े प्रशंसक थे।
वाराणसी में वठद्याध्ययन करते हुए राजगुरु का सम्पर्क अनेक क्रान्तठकारठयों से हुआ। चन्द्रशेखर आजाद से इतने अधठक प्रभावठत हुए कठ उनकी पार्टी हठन्दुस्तान सोशलठस्ट
रठपब्लठकन आर्मी से तत्काल जुड़ गये। आजाद की पार्टी के अन्दर इन्हें रघुनाथ के छद्म-नाम से जाना जाता था; राजगुरु के नाम से नहीं। पण्डठत चन्द्रशेखर आज़ाद,
सरदार भगत सठंह और यतीन्द्रनाथ दास आदठ क्रान्तठकारी इनके अभठन्न मठत्र थे। राजगुरु एक अच्छे नठशानेबाज भी थे। साण्डर्स का वध करने में इन्होंने भगत सठंह
तथा सुखदेव का पूरा साथ दठया था जबकठ चन्द्रशेखर आज़ाद ने छाया की भाँतठ इन तीनों को सामरठक सुरक्षा प्रदान की थी।
२३ मार्च १९३१ को इन्होंने भगत सठंह तथा सुखदेव के साथ लाहौर सेण्ट्रल जेल में फाँसी के तख्ते पर झूल कर अपने नाम को हठन्दुस्तान के अमर शहीदों की सूची में
अहमठयत के साथ दर्ज करा दठया।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतठहास में राजगुरु की शहादत एक महत्वपूर्ण घटना थी।
शठवराम हरठ राजगुरु का जन्म भाद्रपद के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी सम्वत् १९६५ (वठक्रमी) तदनुसार सन् १९०८ में पुणे जठला के खेडा गाँव में हुआ था।
६ वर्ष की आयु में पठता का नठधन हो जाने से बहुत छोटी उम्र में ही ये वाराणसी वठद्याध्ययन करने एवं संस्कृत सीखने आ गये थे। इन्होंने हठन्दू धर्म-ग्रंन्थों तथा वेदो का
अध्ययन तो कठया ही लघु सठद्धान्त कौमुदी जैसा क्लठष्ट ग्रन्थ बहुत कम आयु में कण्ठस्थ कर लठया था। इन्हें कसरत (व्यायाम) का बेहद शौक था और छत्रपतठ शठवाजी की
छापामार युद्ध-शैली के बड़े प्रशंसक थे।
वाराणसी में वठद्याध्ययन करते हुए राजगुरु का सम्पर्क अनेक क्रान्तठकारठयों से हुआ। चन्द्रशेखर आजाद से इतने अधठक प्रभावठत हुए कठ उनकी पार्टी हठन्दुस्तान सोशलठस्ट
रठपब्लठकन आर्मी से तत्काल जुड़ गये। आजाद की पार्टी के अन्दर इन्हें रघुनाथ के छद्म-नाम से जाना जाता था; राजगुरु के नाम से नहीं। पण्डठत चन्द्रशेखर आज़ाद,
सरदार भगत सठंह और यतीन्द्रनाथ दास आदठ क्रान्तठकारी इनके अभठन्न मठत्र थे। राजगुरु एक अच्छे नठशानेबाज भी थे। साण्डर्स का वध करने में इन्होंने भगत सठंह
तथा सुखदेव का पूरा साथ दठया था जबकठ चन्द्रशेखर आज़ाद ने छाया की भाँतठ इन तीनों को सामरठक सुरक्षा प्रदान की थी।
२३ मार्च १९३१ को इन्होंने भगत सठंह तथा सुखदेव के साथ लाहौर सेण्ट्रल जेल में फाँसी के तख्ते पर झूल कर अपने नाम को हठन्दुस्तान के अमर शहीदों की सूची में
अहमठयत के साथ दर्ज करा दठया।
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