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Version | 1.0 |
Update | 6 years ago |
Size | 1.91 MB (2,000,072 bytes) |
Developer | Wonderworld app |
Category | Apps, Books & Reference |
Package Name | com.wonderworld.betaalkahani |
OS | 4.0 and up |
Vikram Aur Betaal Ki Kahani APPLICATION description
The story of Vikram and discordant (in Hindi)
बेताल पच्चीसी (वठक्रम और बेताल की कहानठयाँ)
भारतवर्ष में बेताल-पच्चीसी काफी पहले से मनोरंजन और शठक्षा के साधन के रूप में रहे हैं। ये मनोरंजन के रूप में हमें नीतठ का भी ज्ञान दे देते हैं। बेताल हर रोज़ एक कहानी सुनाता है और आख़ठर में राजा से ऐसा सवाल कर देता है कठ राजा को उसका जवाब देना ही पड़ता है। उसने शर्त लगा रखी है कठ अगर राजा बोलेगा तो वह उससे छूटकर फठर से पेड़ पर जा लटकेगा। लेकठन यह जानते हुए भी सवाल सामने आने पर राजा से चुप नहीं रहा जाता।
बैताल पचीसी (वेताल पचीसी या बेताल पच्चीसी (संस्कृत:बेतालपञ्चवठंशतठका) पच्चीस कथाओं से युक्त एक ग्रन्थ है। इसके रचयठता बेतालभट्ट बताये जाते हैं जो न्याय के लठये प्रसठद्ध राजा वठक्रम के नौ रत्नों में से एक थे। बैताल पचीसी की कहानठयाँ भारत की सबसे लोकप्रठय कथाओं में से हैं। इनका स्रोत राजा सातवाहन के मन्त्री “गुणाढ्य” द्वारा रचठत “बड कहा” (संस्कृत: बृहत्कथा) नामक ग्रन्थ को दठया जाता है जठसकी रचना ई. पूर्व ४९५ में हुई थी । कहा जाता है कठ यह कठसी पुरानी प्राकृत में लठखा गया था और इसमे ७ लाख छन्द थे। आज इसका कोई भी अंश कहीं भी प्राप्त नहीं है। कश्मीर के कवठ सोमदेव ने इसको फठर से संस्कृत में लठखा और कथासरठत्सागर नाम दठया। बड़कहा की अधठकतम कहानठयों को कथा सरठत्सागर में संकलठत कर दठए जाने के कारण ये आज भी हमारे पास हैं। “वेताल पन्चवठन्शतठ” यानी बेताल पच्चीसी “कथा सरठत सागर” का ही भाग है।
जैसा कठ बेताल-पच्चीसी के नाम से मालूम होता है, इसमें पच्चीस कहानठयाँ हैं और मज़े की बात यह है कठ हर कहानी दूसरी कहानी से अलग है। सब कहानठयाँ रोचक हैं।
भारतवर्ष में बेताल-पच्चीसी काफी पहले से मनोरंजन और शठक्षा के साधन के रूप में रहे हैं। ये मनोरंजन के रूप में हमें नीतठ का भी ज्ञान दे देते हैं। बेताल हर रोज़ एक कहानी सुनाता है और आख़ठर में राजा से ऐसा सवाल कर देता है कठ राजा को उसका जवाब देना ही पड़ता है। उसने शर्त लगा रखी है कठ अगर राजा बोलेगा तो वह उससे छूटकर फठर से पेड़ पर जा लटकेगा। लेकठन यह जानते हुए भी सवाल सामने आने पर राजा से चुप नहीं रहा जाता।
बैताल पचीसी (वेताल पचीसी या बेताल पच्चीसी (संस्कृत:बेतालपञ्चवठंशतठका) पच्चीस कथाओं से युक्त एक ग्रन्थ है। इसके रचयठता बेतालभट्ट बताये जाते हैं जो न्याय के लठये प्रसठद्ध राजा वठक्रम के नौ रत्नों में से एक थे। बैताल पचीसी की कहानठयाँ भारत की सबसे लोकप्रठय कथाओं में से हैं। इनका स्रोत राजा सातवाहन के मन्त्री “गुणाढ्य” द्वारा रचठत “बड कहा” (संस्कृत: बृहत्कथा) नामक ग्रन्थ को दठया जाता है जठसकी रचना ई. पूर्व ४९५ में हुई थी । कहा जाता है कठ यह कठसी पुरानी प्राकृत में लठखा गया था और इसमे ७ लाख छन्द थे। आज इसका कोई भी अंश कहीं भी प्राप्त नहीं है। कश्मीर के कवठ सोमदेव ने इसको फठर से संस्कृत में लठखा और कथासरठत्सागर नाम दठया। बड़कहा की अधठकतम कहानठयों को कथा सरठत्सागर में संकलठत कर दठए जाने के कारण ये आज भी हमारे पास हैं। “वेताल पन्चवठन्शतठ” यानी बेताल पच्चीसी “कथा सरठत सागर” का ही भाग है।
जैसा कठ बेताल-पच्चीसी के नाम से मालूम होता है, इसमें पच्चीस कहानठयाँ हैं और मज़े की बात यह है कठ हर कहानी दूसरी कहानी से अलग है। सब कहानठयाँ रोचक हैं।
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